Sunday, May 1, 2011

प्रेम

प्रेम दुनिया का सबसे खुबसूरत एहसास है ...
जितनी परिभाषाये प्रेम की है उतनी दुनिया में किसी भी दूसरे मनोभाव की नहीं है....
ये वह एहसास है जिसे मानव ही नहीं पशु-पछी,पेड़-पौधे भी समझते है
प्रेम अभिव्यक्ति है --आनंद की,मधुरता की,सौंदर्य की,,
प्रेम वियोग है,त्याग है,समर्पण है .....
प्रेम कभी आंसुओ में छिपी मुस्कान जैसा है तो कभी मुस्कान में छिपे आंसुओ जैसा है..



प्रेम,
बहुआयामी,
बहुमूल्य है,
यह है जहाँ,
होता वही पर स्वर्ग है

2 comments:

  1. प्रेम एक ऐसा समर्पण है जिसमे प्रेमी अपनी हर ख़ुशी को त्याग के भी उस व्यक्ति से प्रेम कर सकता है जिसने उसे केवल दर्द दिया हो... क्यूंकि सच्चे प्यार में स्वार्थ नहीं होता..
    सच्चा प्यार एक बार होता है और वो भाव एक ही व्यक्ति के लिए आते हैं.. खुशनसीब होते हैं वो लोग जिनको कोई सच्चे दिल से प्यार करता है.. और बदनसीब होते हैं वो लोग जो इसे ठुकरा देते हैं..

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  2. अच्छा लेखन है आपका !
    आप लोग कभी मेरे ब्लॉग पर भी आये!
    ये है मेरे ब्लॉग की लिंक "samrat bundelkhand"

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