Thursday, April 28, 2011

क्यों रोने का मन किया...



आज न जाने क्यों रोने का मन किया ..
माँ के आंचल में सर छुपा कर सोने का मन किया..
दुनिया की भाग दौड़ में खो चुके थे रिश्ते सब..
आज न जाने क्यों उन सारे रिश्तों को एक सिरे से संजोने का मन किया

किसी दिन भीड़ में देखी थी किसी की आँखें ..
आज फिर उन आँखों में खोने का मन किया ..
रोज सपनों से बातें करता था मैं ..
आज उन सपनों से मुह मोड़ने को मन क्या..


झूठ बोलता हूँ अपने आप से रोज़ मै..
आज न जाने क्यों अपने आप से सच बोलने का मन किया..
दिल तोड़ता हूँ अपनी बातों से सबका मैं..
आज न जाने क्यों किसी का दिल जोड़ने का मन किया..


आज न जाने क्यों रोने का मन किया!!!

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