Thursday, May 9, 2013

प्यार के रिश्ते..


उसकी बात सुनकर जैसे पैरो से ज़मीन निकल गयी हो, अपने कानो पर यकीन नहीं आ रहा था,, वह कहती जा रही थी  हाँ मैं जा रही हूँ, मैंने यह जगह छोडने का फैसला बहुत पहले कर लिया था लेकिन तुम्हें पहले इसलिए नहीं बताया की मुझ मे इतनी ताकत नहीं थी कि तुम्हारा उदास चेहरा देख सकूँ अगर तुम ज़िद करते तो शायद मैं रुकने के लिए मजबूर हो जाती , बस अब अगर तुम मुझे चाहते हो तो मुझे नहीं रोकना, मुझे हंसी खुशी विदा करना, ज़िंदगी कभी रुकती नहीं है और ना ही किसी के जाने से खत्म हो जाती है, मिलना बिछड्ना तो नसीब मे लिखा होता है यह कभी मत सोचना कि मैं तुम्हें भूला दूँगी, ना मैं तुम्हें भुला पाओंगी और ना तुम मुझे, लेकिन हमारा साथ बस यहीं तक है !!

उसने अपनी बात खत्म किया और बाहर चली गयी और मैं दुख और निराश बैठा सोच रहा था आखिर क्या ऐसी मजबूरी थी जो वह बिना बताए चली गयी क्यो इतने दिनो का प्यार एक पल मे जुदा हो गया,, जिसके बिना एक पल भी गुजरना मुश्किल था वह हमेशा के लिए चला गया, क्या पारिवारिक रिश्तो के आगे प्यार के रिश्तो कि कोई कीमत नहीं होती है क्या प्यार के रिश्ते की कीमत खून के रिश्ते के आगे कुछ नहीं होती ? मैंने उसके लिए सब कुछ किया लेकिन आज वह मुझे अकेला छोड़ कर चली गयी, क्या उसने एक बार भी नहीं सोंचा की मैं उसके बग़ैर कैसे रहूँगा !! मैं तो एक दोराहे पर आ गया हूँ,, एक कदम बढ़ाना भी मुश्किल पड़ रहा था समझ मे नहीं  आता था की ज़िंदगी कैसे गुज़ारी जाये !! थक कर एक जगह बैठ गया !! दूर कहीं से आवाज़ आ रही थी !!

छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए यह मुनासिब नहीं आदमी के लिए
प्यार से भी ज़रूरी कई काम है प्यार सब कुछ नहीं ज़िंदगी के लिए .

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